Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 2
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
View full book text
________________
समय- विचार
श्री विश्वेश्वरनाथ रेउने लिखा है "अमितगतिने विक्रम सं० १०५० ( ई० सन् ९९३) में राजा मुंजके राज्यकाल में सुभाषितरत्नसंदोहनामक ग्रन्थ बनाया और वि० सं० १०७० ( ई० १०१३ ) में धर्मपरीक्षानामक ग्रन्थकी रचना की । इनके गुरुका नाम माधवसेन था" ।
'सुभाषित रत्न संदोह को प्रशस्तिमें रचनाकालका निर्देश निम्न प्रकार है"समारूढे पूत्रिदशवति विक्रमनृपे सहस्र वर्षाणां प्रभवति हि पंचाशदधिके । समाप्ते पंचभ्यामवति धरणों मुंजनृपती सित पक्षे पौधे बुधहितमिदं शास्त्रम नधम् ॥ अर्थात् वि० सं० १०५० पौष शुक्ला पञ्चमीको मुंज राजाके राज्यकालमें यह निर्दोष शास्त्र पूर्ण हुआ ।
धर्मपरीक्षाका रचना काल वि० सं० १०७० और संस्कृतपञ्चसंग्रहका वि० सं० २०७३ हैं। पंचसंग्रहको प्रशस्ति में लिखा है
-
त्रिसप्तत्यधिकेऽदानां सहस्रे शकविद्विषः । मसूतिकापुरे जातमिदं शास्त्रं मनारमम् ॥
अर्थात् वि० सं० १०७३ में, जबकि मुंजके राज्यपट्टपर भोज आसीन हुआ, यह ग्रन्थ लिखा गया । अतएव स्पष्ट है कि अमितगतिका समय वि० सं०की ११वीं शताब्दि है ।
रचनाएँ
अमितगतिको अनेक रचनाएं मानी जाती हैं। पर जिन्हें निर्विवादरूपसे अमितगतिको रचना माना गया है उनके नाम निम्नलिखित है
१. सुभाषित रत्नसंदोह
२. धर्मपरीक्षा
३. उपासकाचार
४. पञ्चसंग्रह
५. आराधना
६. भावनाद्वात्रिंशतिका
१. भारतके प्राचीन राजवंश, प्रथम भाग, हिन्दी ग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, बम्बई, सन् १९३० पु० १०६ ।
२. सुभाषित रत्न संदोह पच ९२२ ।
३. पञ्चसंग्रह, अन्तिम प्रशस्ति, पृ० २३९, पद्य ६ ।
श्रुतघर और सारस्वताचार्य: ३८९