Book Title: Tirthankar Buddha aur Avtar
Author(s): Rameshchandra Gupta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 12
________________ ११ ५. बुद्धत्व की अवधारणा हीनयान से महायान की यात्रा (क) सर्वास्तिवाद में बुद्ध ११४, (ख) महासांघिक मत में बुद्ध ११४, (ग) महायान में बुद्ध ११५ Inlo ११६ ११९ ६. महायान में त्रिकायवाद की अवधारणा का विकास ७. बुद्धत्व की अवधारणा में अलौकिकता का प्रवेश ८. हीनयान और महायान में बुद्ध की अवधारणा का अन्तर १२२ ९. बुद्धत्व का अधिकारी कौन ? निदान कथा के अनुसार बुद्धत्व के लक्षण संयुत्त निकाय के अनुसार बुद्धत्व के लक्षण १०. अर्हत्त्व एवं बुद्धत्व की प्राप्ति के उपाय (अ) अर्हत् पद प्राप्त करने के चार चरण (ब) बुद्धत्व की प्राप्ति के दस चरण ( दस भूमियाँ) ११. बुद्धत्व की प्राप्ति का मूलभूत आधार बोधिचित्त का उत्पाद १२. अर्हत, प्रत्येक-बुद्ध और बुद्ध के आदर्श (क) अर्हत् १४१ (ख) प्रत्येक बुद्ध १४२ ( ग ) सम्यक् सम्बुद्ध या बुद्ध १४२, (घ) तुलना १४३ १३. बुद्धों के प्रकार- अतीतबुद्ध, वर्तमानबुद्ध और अनागतबुद्ध या भावी बुद्ध Jain Education International (क) धर्मता बुद्ध, निष्यन्दबुद्ध और निर्माणबुद्ध १४५, (ख) पंच तथागत या पंचध्यानी बुद्ध १४५, (ग) मानुषी बुद्ध १४६ १४. बुद्धों की संख्या (१) दीपंकर बुद्ध १४९; (२) भगवान् कौण्डिन्य १५०; (३) भगवान् मंगल १५० ; ( ४ ) भगवान् सुमन १५१; (५) भगवान् रेवत १५१; (६) भगवान् शोभित १५२ ; ( ७ ) भगवान् अनोमदर्शी १५३; (८) भगवान् पद्म १५३; ( ९ ) भगवान् नारद १५४; (१०) भगवान् पद्मोत्तर १५४; (११) भगवान् सुमेध १५५; (१२) भगवान् सुजात १५६; (१३) भगवान् प्रियदर्शी १५६; (१४) भग ११३ For Private & Personal Use Only १२८ १२८ १३३ १३३ १३४ १३६ १३९ १४१ १४३ www.jainelibrary.org

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