Book Title: Tirthankar Buddha aur Avtar
Author(s): Rameshchandra Gupta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ विषयानुक्रमणिका प्राक्कथन प्रथम अध्याय : विषय प्रवेश १. भारतीय संस्कृति का मूल उत्स २. श्रमणधारा का उद्भव ३. आस्तिक एवं नास्तिक दर्शन ४. जैन और बौद्ध धर्मों की समानता ५. तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणा का प्रयोजन ६. जैन धर्म और तीर्थंकर की अवधारणा ७. जैन धर्म में तीर्थंकर की अवधारणा का ऐतिहासिक विकास-व -क्रम ८. बौद्ध धर्म और बुद्ध ९. बुद्धत्व की अवधारणा का विकास १०. हिन्दू धर्म और अवतार ११. पारसी धर्म और देवदूत जरथुस्त्र १२. यहूदी धर्म और पैगम्बर मोजेज १३. ईसाई धर्म और प्रभु ईसामसीह १४. इस्लाम धर्म और पैगम्बर द्वितीय अध्याय : तीर्थंकर की अवधारणा १. जैन धर्म में तीर्थंकर का स्थान २. तीर्थंकर शब्द का अर्थ और इतिहास ३. तीर्थंकर की अवधारणा ४. तीर्थंकर और अरिहन्त ५. तीर्थंकर, गणधर और सामान्य केवली का अन्तर ६. सामान्य- केवली और प्रत्येक बुद्ध ७. तोथंकर को अलौकिकता Jain Education International अ - तीर्थंकरों के पंचकल्याणक ब - अतिशय स- वचनातिशय For Private & Personal Use Only १ ४ ४ ५ ६ a m 2 2 w & & & ११ १३ १५ १५ १६ १९ २० २२ २६ २७ ३० ३१ ३२ ३३ ३५ ३७ ३८ ४३ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 376