Book Title: Tattva Nirnayprasad
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Amarchand P Parmar

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ४०१ ४ , (२७) सप्तविंश स्तंभ-पंदरमा व्रतारोपसंस्कारका वर्णन व्रतसंस्कारकी आवश्यकता .... .... ... घ्रतसंस्कार कराने योग्य गुरुका वर्णन .... ..... व्रतसंस्कार धारण करने योग्य गृहस्थका वर्णन शास्त्र प्रायः प्राकृत में हैं जिसका कारण सम्यक्त्व सामायिकारोपणाविधि । आठ थूई में देववंदन करनेका विधि ...... अरिहणादि स्तोत्र .... .... सम्यक्त्वारोपणविधि दंडकपाठसहित बावीस अभक्ष्यादि नियमवर्णन सम्यकत्वकी देशना, स्वरूप मिथ्यात्वका स्वरूप .... .... देवस्वरूप .... .... .... अदेवस्वरूप .... ... .... गुरूस्वरूप, कुगुरुस्वरूप .... सम्यकत्वके पांच लक्षण, पांच भूषण, पांच दूषण .... ४२० ४२३ ४२४ ४२७ .... ४२९ ४३४-४४८ (२८) अष्टाविंश स्तंभ-व्रतारोपसंस्कारमें देशविरतीव्रतकावर्णन सामायिक आरोपण करनेका विधि .... .... दंडक पाठ .... .... .... . .... परिग्रहप्रमाणटिप्पन-बारां व्रतोंका स्वरूपवर्णन छमहीने पर्यंत सामायिकव्रतका विधि .... .... .... एकादश (११) प्रतिमोद्वहन विधि .... .... .... ४३५ ४४९ (२९) एकोनत्रिंशस्तंभ-व्रतारोपसंस्कारमें श्रुत सामायिक आरोपण विधिका वर्णन .... ....४४९-४६९ नमस्कारस्वरूप, तिसके उपधानका विधि ईर्यापथिकीका उपधान .... ४५२ शक्रस्तव ( नमुत्थुणं) का उपधान चैत्यस्तवका, चतुर्विंशति स्तवका उपधान ४५४ श्रुतस्तवका उपधान .... ४५५ सिद्धस्तव वाचना.... .... For Private And Personal

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