Book Title: Tat Do Pravah Ek
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 9
________________ ७० १८. यदि मनुष्य क्रुर नहीं होता १६. जीवन के नये मूल्य २०. मानव-मन की ग्रन्थियाँ २१. सुख और शान्ति २२. विस्मृति का वरदान २३. पूर्ण और अपूर्ण २४. आकाश की उड़ान भारत को चुनौती २५. विचार-प्रवाह २६. चिर सत्यों की अनुस्यूति २७. स्वतन्त्रता और आत्मानुशासन २८. जीवन-विकास के सूत्र २६. अणु-अस्त्र और मानवीय दृष्टिकोण ३०. योग ३१. कायोत्सर्ग ३२ ब्रह्मचर्य ३३. ब्रह्मचर्य का शरीर-शास्त्रीय अध्ययन ३४. वासना-विजय ३५. विभूषा ३६. आत्म-दमन ३७. अकाल-मृत्यु ३८. जीवन परिवर्तन की नयी दिशा १०३ ११४ १२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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