Book Title: Syadwad Bhasha
Author(s): Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Grnathmala

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Page 4
________________ प्रासंगिक श्री जैन दर्शनना ज्ञान माटे अनेक महान् ग्रन्थोनी रचना महापुरुषोए करेली छे. प्रमाण सम्बन्धी ग्रन्थोमां प्रमाणनयतस्त्वा• लंकर, रत्नाकर अवतारिका, स्यादवादरत्नाकर, न्यायावतार, न्यायखण्डखाद्य, नयोपदेश, नयरहस्य, अनेकान्त व्यवस्था, स्यादवादमंजरी. प्रमाण मीमांसा बिगेरे महान ग्रन्थो छे. बाल जीवोना बोध माटे सरल ग्रन्थनी उपयोगिता जाणीने विद्वान गणिप्रवर श्री शुभविजयजी महाराजे आ स्यादवादभाषा ग्रन्थनी रचना करी छे. आ विषय गहन होवाथी ते विषयनो प्रवेश कठिन पण होय छता तेना अर्थी आत्मा माटे सुदृढ स्यादवाद ज्ञान माटे आ ग्रन्थ घणो उपयोगी छे । आ ग्रन्थना कर्ता श्री शुभविजय गणिवर श्री जगद्गुरु हीरसूरीश्वरजी महाराजना विनेय छे अने श्री विजयसेनसूरीश्वरजी महाराजना प्रश्नोत्तर स्वरूप सेनप्रश्न ( प्रश्नोस रसमुच्चय ) ना संग्राहक छे, तेमणे स्यादवादभाषा ग्रन्थ वि० सं० १६६७ मां रचेलो छे । प्रमाणनयतत्त्वना विषयम प्रमाणनयतत्त्व लोकालंकार महाग्रन्थना संक्षेप - प्रक्रिया स्वरूप आ ग्रन्थ अभ्यासीओने अति उपयोगी छे, आ ग्रन्थ बीजु नाम प्रमाणनयत प्रकाशिका छे । अभिधानचिंतामणि नाममाला बीजक तेमणे वि. सं. १६६१ मां रचेलु छे (जैन संस्कृत साहित्य इतिहास पृ. ११६ ) आ लेखके काव्यकल्पलता (कर्ता वायडगच्छमा श्री जिनदत्तसूरि सं. १२८०) उपर मकरंद नामनी टीका वि. सं. १६६५ मां ३१९६ श्लोक प्रमाणनी रची छे। (जै. सं. सा. इ. पृ. १७०) तथा वि. सं. १६७१ मां कल्पसूत्रवृत्ति पण तेमणे रची छे. (जै. सा. इ. पृ. ५०५ )

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