Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust
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स्तवन - १ (राग : मिलेना तुम तो.....) जग उपकारी साहिब मेरा, अतिशय गुण मणिधाम
मारूं मन मोह्यं रे.......
आदि जिनेश्वर अति अलवेसर अहोनिश ध्या ध्यान
मरूदेवा नंदशु........ ॥१॥
दोय कर जोडी तुम सेवा करे, सुरनर किन्नर कोड; प्रातिहारज आठे अहोनिश रे,
कवण करे तुम होड..... ॥२॥
चार रूपेरे चउविह, देशना देता भवियण काज; मानु ओ चउगतिना जन तारवा, छाजे ज्यु
जलधर गाज.......... ॥३॥ ते धन्य प्राणी जीणे, तुम देशना समये निरख्योनूर कर्ण कचोळे वाणी सुधारस, पीधी जीणे भरपूर ॥४॥ हुँ तो तरशुंरे तुमचा ध्यानथी अनुपम अह उपाय, न्याय सागर गुण आगळ साहिबा.
लळीलळी नमे नित पाय......... ॥५॥
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