Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 48
________________ 华路 囧囧囧囧西安西路图 स्तवन ३९ (राग: है मालिक तेरे बंदे हम) श्री शांति जिनेश्वर दीठा मारा मनमां लाग्या मीठा; आज मुखडुं प्रभुजी तारु जोतां, मारा नयन थया छे पनोता.. १ जे नजर मांडी ओने जोशे, ते तो भवनी भावठ खोशे; अहनुं रुप जोइ जे जाणे अने, सुरनर सहु वखाणे....२ ओ साहिब छे सयाणो, मने लाग्यो अहशुं तानो; * ओ तो शिवसुंदरीनो रसियो, मारा नयनो मांही वसीयो....३ तो पण अशुं की, हवे सघळु कारज सीध्युं; ओ तो जीवन अंतरयामी, निरंजन से बहु नामी घणु शुं हने वखाणुं, अ तो जीवनो जीवन जाणुं; घणु जे अहने मळशे ते तो, माणसमांथी टळशे....५ मनडां जेणे अशुं मांड्या, तेणे ऋध्धिवंता घर छांड्या; आगे जेणे अह उपास्यो तेणे, शिवसुख करतल वास्यो....६ आशक जे अहना थाय, तेणे संसारमां न रहेवाय; गुण अहना जे घणा गाशे ते तो, आखर गुणी थाशे..... तो मांडी अशुं माया, मने न गमे बीजानी छाया; उदयरत्न मुनि ओम बोले, कोई नावे अहनी तोले...८ · 湖南离岛廟廟 C+ 圈圈圈圈圈圈圈圈圈

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