Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust
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悦悦悦[88] गीत - ५
सेवा ओ मुक्ति मेवा... सेवा....
हो... मारा हैयानी सेवा स्वीकारो प्रभु मने मुक्ति ना मेवा चखाडो प्रभु...
आपुं जन्मोजन्मनी परीक्षा, हवे परिणामनी छे प्रतिक्षा
मारा जन्मोनो अंत, क्यारे आवे भगवंत मारा मनडानी चिंता मटाडो प्रभु...
में तो राखी नथी कोई खामी, तोये रीझ्यो नहि केम स्वामी ?
मारो शुं छे अपराध, गोतुं हुं दिनरात; मारी भक्ति नी खामी सुधाारो प्रभु...
aist भवनो घणोमें उपाड्यो लांबो मार्ग प्रभु में खुटाड्यो, हवे लाग्यो छे थाक, जरा लंबावो हाथ मारा माथेथी बोजो उतारो प्रभु...!
सेवा....
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