Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust
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गीत - ४
Face
आ देह नी पूजामां, दिनरात हुं वितावुं छु, किंमती समय जीवननो, हुं राखमां मिलावुं छु...
शियाळे शाल ओढाडुं, उनाळे बाग सुंघाडु; मिठाई खुब खवडावं, पलंगे रोज पोढाडु; अंकुश नी जरुर छे, त्यां लाड हुं लडावुं छं... मने आ देह उध्धारे, नरक मां एज गबडावे; दमुं तो पार उतरावे, नमुं तो पाप बंधावे; साधन तरी जवानुं, कांठा उपर डूबावुं छे... अचानक देह पडवानो, फरी आतम रझळवानो; फरी संयोग मळवानो, नथी एने उगारवानों; अधूरा रहे अभरखा, एवा कदम उठावुं छु... आ देह नी....
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