Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust
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गीत -८ म में तो जो लीधा दादा तने आज
हैयुं मारुं नाची रघु... मारी धन्य बनी आंखलडी आज हैयु मारु नाची रघु... . .
BRTERRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRISHTET
दादा तारुं मुखडु लागे सोहामणुं जोतां मारुं आ हैयुं हरखाj जाणे लागे पुनम केरो चांद...
शान्त सुधारस दादा तारी मूर्ति पापी जीवोना पापो ने हरती, एतो देखाडे मुक्तिनुं धाम...
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माणेक मोती नी आंगी शोभे छे, तारुं मुख जोतां नयनो ठरे छे, . केवो शोभे छे तारो देदार...
भवो भव मांगु तुम चरणोंनी सेवा, जल्दी चखाडजो मुक्तिना मेवा, थाये मारो आ भवथी उध्धार...!
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