Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 66
________________ pron - - गीत - १७ (राग: अमे महियारा....) तमे रे सहारा रे मंगलधामनां, हे जी मारे शरणां लेवा तमारा... कृपाळु देव मारी वासना निवारो, भूला पडेलानो पंथ अजवाळो, हे जी मारे दुःखडा कोने जइ कहेवा... भवना बजारे हुं तो सुख लेवा निसर्यो, सुखना भंडार तारा साव हुं तो विसर्यो, हे जी मारे कर्मोनां त्रास शे सहेवा... स्वार्थना सगपण कीधा संसारमां, तूट्या ते तंतूनां तार पलवारमा, हे जी मारे प्रीतिनां दान कोने करवा... .. भक्ति नां दीपथी उतारुतारी आरती, मांगु छु एटलुं सुधारजो रे मति, हे जी मारे मुक्तिनी वाटे जावू... 画画图画圈圈部商圈圈画廊画画廊画画廊密密爾 MUMDEMANEEDLINE ... भR क. VIHA

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