Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 50
________________ pacaraPATRA HTTERTARATH गीत - १ स्वामी तारा स्नेहनो मने धरब नथी, प्यास छीपती नथी थाय छे के बस घुट पीधा करूं... स्नेह तो मळ्यो मने घणानो पण बधा शरीर ना सगानो, आतमनो एक तु स्वजन छे, तारो मारो स्नेह छे सदानो भाव जेमा स्वार्थ नो लगीर पण नथी, एवा आ संबंध थी थाय छे के बस गांठ बांध्या करूं.... 國图图图图图图南画面图图图图图图图图图图图图回 सूर्यना किरण वधे घटे छे, मेघराय पण कदि रुठे छे, धान्य आपनारी धरती माता, कोक दिन धान्य चोरी ले छे, रातदिन वहे तारा स्नेहनी नदी, ओटती नथी कदी, थाय छे के बस डूबकी मार्या करूं.... तारो स्नेह पाप थी बचावे, धर्मनी प्रवृत्तिओ करावे, द्वार दुर्गतिना बंध करीने, सद्गति तणी सफर करावे, दीप जले छे मुजने मार्ग चींधवा, मंजिले लइ जवा, थाय छे के बस तेज झील्या करूं....स्वामी...

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