Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust
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स्तवन - ६
(राग : पूजानी ढाळ)
ऋषभ जिनराज मुज आज दिन अतिभलो गुनिलो जेणे तुज नयण दीठो;
दुःख टल्यां सुख मल्यां, स्वामी तुज निरखतां, सुकृत संचय हुओ पाप निठो ॥१॥ कल्प शाखी फल्यो, काम घट मुज मल्यो, आंगणे अमीयनो मेह वुठो; मुज महिराण महिभाण तुज दर्शने,
क्षय थयो कुमति अंधार जुठो... ॥ २ ॥ कवणनर कनकमणि छोडी तृण संग्रहे,
कवण कुंजर तजी करह लेवे; कवण बेसे तजी कल्पतरू बाऊले,
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तुज तजी अवर सुर कोण सेवे ॥३॥
एक मुजटेक सुविवेक साहिब सदा,
तुज विना देव दूजो न इहुँ तुज वचन राग सुख सागरे झीलतो कर्मभर भ्रम थकी हुं न बीहुं ॥४ ॥ कोडी छे दास विभु ताहरे भलभला,
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