Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust
View full book text
________________
स्तवन ३२ (राग : शास्त्रीय)
- - wal
- - - - -
apat
-
all
पद्मप्रभ जिन नामनी रे, जाउ हुं बलिहार... नाम जपंता दीहा गमुं रे, भव भय भंजनहार...
मिले मन भीतर भगवान ॥१॥ नाम जपंता मन उल्लसे रे, लोचन विकसित होय, रोमांचित होवे देहडी रे, जाणे मिलीयो सोय...
मिले मन भीतर भगवान ॥२॥ पंचमकाळे पामवो रे, दुलहो प्रभु देदार तोहे ताहरा नामनो रे, छे मोटो आधार
मिले मन भीतर भगवान ॥३॥ नाम ग्रहे आवी मिले रे, मन भीतर भगवान; मंत्र बळे जिम देवता रे, वाहलो कीधो आहवान्
मिले मन भीतर भगवान ।। ४ ।। ध्यान पदस्थ प्रभावथी रे, चाख्यो अनुभव स्वाद; मान विजय वाचक वदे रे, मुको बीजो वाद...
मिले मन भीतर भगवान ॥५॥
-
immomama
-
MARRIER
38 MITTER