Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 25
________________ स्तवन - १४ (राग : प्राचीन) ERODERED श्रीवासुपूज्य नरिंदनो जी, नंदन गुणमणी धाम, वासुपूज्य जिन राजीयोजी, अतिशय रत्न निधान, प्रभु चित धरीने अवधारो मुज वात ॥ १ ॥ T दोष सकल मुज निवारजोजी स्वामी करी सुपसाय, तुम चरणे हुं आवीयोजी, महेर करो महाराज ॥ २ ॥ कुमति कुसंगतिसंग्रहीजी, अविधिने असदाचार, | ते मुजने आवी मल्याजी, अनंत अनंतीवार ॥ ३ ॥ जबमे तुमने निरखीयाजी, तब ते नाठा दूर, Mail पुण्य प्रगटे शुभ दिशाजी, आयो तुम हजुर ॥ ४ ॥ ज्ञानविमल प्रभु जाणजोजी, शुं कहेवू बहुवार, दास आसपूरण करोजी, आपो समकित सार || ५ ॥ BETET

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