Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 35
________________ स्तवन - २४ पार्श्वजिणंदा मुजने दरिशन द्योने दिलभर दिलथी मारा सामु जुओने, हसी तारा चितनी वातो मने ते कहोने, प्रीत नी रीत मां शुंते वहोने ॥१॥ अंतर चितनी वारतारे, प्रभु कहुं ते दिल धरोने;प्रीत प्रतीत जीम उपजेरे, तिम अविहड प्रीत करोने; पार्थ जिरावला मुजने दरिशन धोने ॥२॥ | सुन्दर मुखडु मटकडे, प्रभु लोभ्या ते अमोने; मुजमन मलवा अति घणुरे, चाहे क्षण क्षण माहीतमोने पार्श्वनाकोडामूजने ॥३॥ ललचावो दिन केटला रे, अम दिलासो मुजने दईने, हा ना मुखथी भाखीये रे, बेसी रहया शुं मौन धरीने, पार्श्व गोडिजी मुजने ॥४॥ हसित वदने बोलावीयेरे, आज अमोने राजी करोने; वाछित देई | अमनेरे, तुमशुंजगमांजश वारोने पार्श्व चिंतामणी मुजने ॥५॥ रोग शोक दुःखने दोहग, ताप संताप ने पाप हरोने; पंडित प्रेमना | भाणनेरे, प्रसन्न होजो हेज धरीने; पार्श्व शामलीया | मुजने ॥६॥ REL30 बाबा

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