Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 34
________________ स्तवन - २३ (राग : तुं प्रभु मारो) il तारा ते नयना प्याला प्रेमना भर्या छे, प्रेमना भर्या छे, दया रसना भर्या छे. दयारस ना भर्या छे, अमी छाटना भर्या छे; तारा ते नयना प्याला प्रेमना भर्या छे ।। १ ॥ जे कोई तारी नजरे चढी आवे, कारज तेहना सकल सर्या छे ...।। २ ।। प्रगट थई पाताल थी प्रभु ते यादव ना दुःख दूर ा छे ।।३।। mil पन्नगपति पावक थी उगार्यो जन्म मरण भय तेहना हर्या छे ।।४।। पतितपावन शरणागत वत्सल दरिसन दीठे मारा दिलडा ठर्या छे।।५।। श्री शंखेश्वर पार्श्व जिनेश्वर, तुज पद पंकज आजथी धर्या छे ॥६॥ mil जे कोई तुजने ध्याने ध्यावे अमृत सुख तेने रंगथी वर्या छे ।। ७ ॥ Ma (29

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