Book Title: Sumainahchariyam
Author(s): Somprabhacharya, Ramniklal M Shah, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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૪૧દ
सिरिसोमप्पहसूरि-विरइयं ससुरो । वद्धाविओ कुबेरदत्तो वत्थाभरणप्पयाणेण, पुट्ठो य कुसलोदंतं । तेणावि देविला-चरियं निगृहंतेण कहियं किंपि । गओ सो स-नयरं । ठिया देविला । कवड-नेहप्पयंसणेण आवज्जिओ कुबेरदत्तो । कयाइ कुसग्ग-लग्ग-जलबिंदु-चंचलत्तणेणं जीवियश्वस्स सुरासुरेहिं पि अप्पडिहय-प्पसरत्तणेणं मच्चुणो पंच-नमोक्कार-सुमरणपरो परलोयमग्गं पवनी माणिभद्द-सेही । कमेण सुजसा वि जससेसा जाया । कुबेरदत्तो वि सुविणिंदयाल-विब्भमं जीवलोयमवलोयंतो विसं व विवाग-विसमं विसय-वासंग-सोक्खमवगच्छंतो तप्पभिइ-वियंभियसविसेस-संवेग-वासणो सुगुरु-समीवे पडिवन्न-देसविरई उवासगपडिमाराहण-कओज्जमो कालं गमेइ । देविला वि कसाय-कलुसियमणा मणागं पि अणियत्त-विसयाहिलास-पसरा सराग-हियया हियाहिय-वियार-वज्जिया जिइंदिय-मुणिजणासायणपरा परलोय-भयविप्पहीणा हीणायार-निरया निरंकु सा कु सीलजण-संसग्गं च अहिलसमाणा समाण-सीलम्मि दुग्गिलाभिहाण-कुलपुत्तगम्मि संपलग्गं चिहइ । अइक्वंतो कोइ कालो ।।
एगया गरुयावराह-कु विएण रन्ना उब्बंधाविओ दुग्गिलो । कुबेरदत्तो वि तम्मि दिवसे चउद्दसि ति पडिमं पडिवजिऊण नियघरासन्न-सुन्नघर-कोणम्मि ठिओ धम्मज्झाण-परायणो 1 इयरी वि रयणीए गहिऊण फुल्ल-विलेवणाईणि निग्गया गेहाओ वच्चंती य दिहा तलवरेण । कहिं एसा वच्चइ ? त्ति चिंतंतो लग्गो तीए पिढओ । इयरी वि गया तं पएसं जत्थ सो दुग्गिलो उब्बद्धो चिहइ । आरुहिऊण रुक्ख-साहाए अलंकरिऊण तं फूल्लाईहिं अच्चंताणरत्तचित्ता चुंबिउं पवत्ता । एत्थंतरे के लिप्पिय-वंतरेण मय-सरीरमणुपविसिऊण खंडियं दंतग्गेहिं नासग्गं तीए । इयरी वि विरसमारसंती नियत्ता, पत्ता नियगेहं । दिहं च सव्वमेयं तलवरेण | पहायप्पायाए रयणीए पोक्वरंती गया राउलं । पुहा रन्ना-किमेसा पुक्करइ ? त्ति । वागरियमणाए- मह दुरप्पा पई एक्क-पल्लंक-पसुत्ताए अज्ज निसाए नासियं छिंदिऊण कहिं पि पणहो । आणत्तो रन्ना तलवरो-गवेसेहि तं । आएसो त्ति भणित्ता पयत्तो तं गवेसिउं । दिहो तेण तहेव पडिमापवन्नो कुबेरदत्तो । आणीओ भुयाए घेत्तूण रन्नो समीवं । भणिओ रन्ना-किं तुमए निरवराहाए नासा छिन्न ? त्ति । कुबेरदत्तेण चिंतियं- 'अहो ! पावाए वियंभियं । ।
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