Book Title: Sumainahchariyam
Author(s): Somprabhacharya, Ramniklal M Shah, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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सुमइनाह-चरियं
भावेई इमं रे जीव ! सव्व सत्तेसु तं कुणसु मित्तिं । मा कत्थ वि रोस वहसु देविलाए विसेसेण ॥ २८७२ || उवयारिणी तुहेसा जं नरयाइसु अवस्स - खवणिज्जं । तं कम्ममुईरेउं इहावि निहवइ किर एसा ||२८७३ || जइ उण इमाइ उवरिं करेसि रोसं चिरं तवं तविरं । ता हारिहिसि सुवन्नं धम्मिय पिहु एक्क- फुक्काए ||२८७४|| संसारम्मि अणते अनंतसो नारएसु तिरिएसु । जाएण तए सहियाइं जाई तिक्खाई दुखाइं ||२८७५ || तयविवखाए दुक्खं थोवमिणं धीरिमं तओ धरिउं । सहसु सयं कडु - कम्मं ललियमेयं विचिंतंती ||२८७६|| एवं समाहिपत्तो कुबेरदत्तो महामुणी मरिउं । जाओ सणकुमारे कप्पम्मि महडिओ देवो ||२८७७|| अह देविला कयत्थं अप्पाणं मुणिवहेण मन्नंती । भयवेविरी पलाणा रन्ने तत्थेव रयणीए ||२८७८|| डक्का भुयंगमेणं मया समाणी किलिड परिणामा | तो वालुयप्पभाए उप्पन्ना नरय- पुढवीए ॥ २८७१ || अत्थि इह जंबुदीवे भारहवासे विसिद्ध-सुरभवणं । कंचणपुरं सुरपुरं व सुरयणालंकियं नयरं ||२८८०|| तत्थत्थि सूरराओ जय-लच्छि - विलासिणी - विलास-रओ । सरय-ससि-किरण-निम्मल - जस-धवलिय-सयल - दिस-वलओ || २८८१||
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जइ होज्ज न सत्तासो करचंडो वा न होज्ज जइ सूरो । गुणओ वि होज्ज तुल्लो तत्तो सो सूररायस्स ||२८८२|| तरस नरिंदरस दुवे दइयाओ दिव्व - रूय- रम्माओ । रइ - पीइउ व मयणस्स गउरि-गंगाउ व हरस्स ॥ २८८३|| पढमा तत्थ कमलिणी अवरा नामेण कुमुइणी देवी । दो वि उवरोह - साराओ सूररायस्स दईयाओ ||२८८४|| एतो सणकुमाराकप्पाउ चूओ कुबेरदत्त - जिओ । गब्भम्मि कमलिणीए सुह-सुविणय-सूइओ संतो ||२८८५ ।।
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