Book Title: Sumainahchariyam
Author(s): Somprabhacharya, Ramniklal M Shah, Nagin J Shah
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 531
________________ ५०६ सिरिसोमप्पहसूरि- विरइयं तुंबरू नामा जक्खो धवलंगो गरुडवाहणो निच्चं । कुणइ सिरि-सुमइ - तित्थंकरस्स तित्थम्मि सन्निज्झं || ३६०१ || वरदा एगेण करेण दाहिणेण परेण पासधरा । वज्जउरंकुस - कलिएहिं वाम- हत्थेहिं रेहंती || ३६०२ || नामेण महाकाली कमल- निसन्ना सुवन्नवन्न-तणू । सासणदेवी सिरि- - सुमइ-नाह - तित्थम्मि संजाया || ३६०३ ॥ विहरंतरस भयवओ वीस-सहस्साहियाई साहूण । मोक्खपय-बद्ध - लक्खाइं तिन्नि लक्खाई जायाई || ३६०४।। सीलवईणं मत्थय मणीण समणीण मोहसमणाणं । जायाइ पंचलक्खा तीस-सहरसेहिं संजुत्ता || ३६०५ || केवलनाणीण गुणोह - रयण-खाणीण महुरवाणीणं । जणिय - जण - पावहाणीण हुंति तेरस - सहस्साई || ३६०६|| मणपज्जवनाणीणं चारित्तनरिंद- रायहाणीणं । जायाइं दस - सहस्साइं अद्ध-पंचम - सयाई च ॥३६०७।। एक्कारस-सहस्साइं पुन्निक्कनिहीण ओहिनाणीणं । चउसयजुया चउद्दसपुव्वीण दुवे तह सहस्सा || ३६०८ || वेव्विलीणं विलसंत-महंत - पसमरिद्धीणं । वरबुद्धीणं चउसय सहिया अद्वारस-सहस्सा || ३६०१ || परवाइ - पराजय- जाय-जयपसिद्धीण वायलद्धीणं । पंचास - अहिय- चउसय सहियाइं दस सहरसाई ॥३६१०।। एक्कासीई - सहस्साहियाइं लक्खाइं सावयाण दुवे | पंचेव य लक्खा सावियाण सोलस - सहस्सजुया ||३६११|| केवलनाणुप्पत्तीए पुव्वलक्खं दुवालसं गूणं । वीसाए वरिसेहिं य रहियं विहरइ पहू भुवणे || ३६१२|| निव्वाण-गमण - समयं निययं नाऊण सुमइ तित्थयरो | निय - परिवार समेओ सम्मेय- गिरिम्मि संपत्तो || ३६१३ ।। जो पवणाहय - बहु-विडविविडव - निवडंत - कुसुम - नियरेण । सोहइ पहुणो भत्तीए पाय-प्यं व विरयंतो || ३६१४|| For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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