Book Title: Sudarshan Charitram
Author(s): Vidyanandi, Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 10
________________ - १७ 1 (५) हरिषेण ने सुभग ग्वाले के द्वारा शीत परीबह सहने वाले मुनिराज को शीतबाषा को अग्नि जलाकर दूर करने का कोई वर्णन नहीं किया है। नयनन्दि और ashifत ने उसका उल्लेख किया है। विद्यानन्दि कृत सुदर्शनचरित में भी यह उल्लेख मिलता है ।" (६) नयनन्दि और सकलकोति ने सुदर्शन के विवाह का मुहूर्त शोधने वाले श्रीधर ज्योतिषी के नाम का उल्लेख किया है और बताया है कि सुदर्शन और मनोरमा का विवाह वैशाख सुदी पंचमी को हुआ । विद्यानन्द कृत सुदर्शनचरितम् मैं भो यह उल्लेख है ।" (७) नयनन्दि और सकलकीति ने सुदर्शन का निर्वाण पौष सुदी पंचमी, सोमवार के दिन बतलाया है। विद्यानन्द ने निर्माण की तिथि नहीं दी है। सुदर्शन के निष्कलुष चरित के विषय में नयनन्दि ने बहुत ही सुन्दर कथन किया है रामो सोय वियोय सोय विदुरं संपत्तु रामायणे, जादा पंडव धायरट्ठ सददं गोतं कली भारहे । डेड्ढा कोलिय चोररज्जुणिरदा आहासिदा सुये, गो एक्कंपि सुदंसणस्म चरिदे दोसं समुब्भासिदं । P रामायण में राम मीता के वियोग से शोकाकुल दिखाई देते हैं महाभारत में पाण्डव और कौरवों को कलह एवं मारकाट दिखाई देती है तथा अन्य लोकिक शास्त्रों में जार, चोर, भील आदि का वर्णन मिलता है, किन्तु इस सुदर्शन सेठ के चरित में ऐसा एक भी दोष दिखाई नहीं देता, अर्थात् यह सर्वथा निर्दोष चरित है ।" सुदर्शनचरित के कर्ता सुदर्शनचरित मुमुक्षु विधानन्दि की रचना है । ग्रन्थ के अन्तिम पवों में अन्धकार को गुरु परम्परा का स्पष्ट व विस्तृत वर्णन इस प्रकार किया गया हैश्रीमूल सङ्घे वरभारतीये गच्छे बलात्कारगणेऽति रम्ये । श्री कुन्दकुन्दाख्य मुनीन्द्रवंशे जातः प्रभाचन्द्र महामुनीन्द्रः || ४७ पट्टे तदीये मुनिपद्मनन्दी भट्टारको भव्यसरोजभानुः । जातो जगत्त्रयहितो गुणरत्नसिन्धुः कुर्यात् सतां सारसुखं यतोशः ॥४८ १. विद्यानन्द सुदर्शनचरितम् ८/८८- ९४ । २. यही ४ / ९९ / १०१ । ३. सुदर्शनोदय काव्य ( प्रस्तावना ), पृ० ३१ । २

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