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विद्यापीठ के प्रांगण में : ८१
विद्यापीठ परिवार द्वारा सामूहिक दीपावली-पूजन
४ नवम्बर, रात्रि ८ बजे दीपावली के पावन अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. सुदर्शनलाल जैन के विशेष आह्वान पर एक सामूहिक जैन पूजा का आयोजन किया गया जिसमें विद्यापीठ के समस्त कर्मचारीगण, अधिकारीगण, पार्श्वनाथ विद्यापीठ में रह रहे समस्त छात्र-छात्राएँ, अध्यापक आदि उपस्थित थे। प्रो. जैन ने जैन विधि-विधान के अनुसार मन्त्रोच्चार सहित पूजन किया तथा संस्थान की स्थापना के ७३ वर्ष पूरे होने की खुशी में ७३ दीप प्रज्वलित किये गये व प्रसाद वितरण किया गया। जैना के संस्थापक डॉ. तनसुख साल्गिया जी का अपने
सहयोगी मित्रों के साथ विद्यापीठ में आगमन
डॉ. तनसुख साल्गिया, पूर्व अध्यक्ष व संस्थापक-जैना (फेडरेशन आफ जैन एसोसियेशन, नार्थ अमेरिका) तथा मानद् सदस्य- अन्तर्राष्ट्रीय महावीर जैन मिशन, जैन सोसायटी ग्रेटर क्लीव लैण्ड, महावीर विजन, ब्राह्मी जैन सोसायटी तथा एशियन अमेरिकन सर्विस कौन्सिल, का विद्यापीठ में आगमन दिनांक १६.११.२०१० को हुआ। आपके साथ आपकी पत्नी, मित्र धीरज भाई संघवी, मुम्बई तथा प्रो. रमेश चन्द चतुर्वेदी, लखनऊ भी थे। डॉ. साल्गिया ने विद्यापीठ में चल रही परियोजनाओं में विशेष रुचि ली तथा संग्रहालय आदि अनेक परियोजनाओं पर सहयोग करने का आश्वासन दिया।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में वड्डमाणु स्तूप पर व्याख्यान
२१ नवम्बर २०१० को पार्श्वनाथ विद्यापीठ में लाला श्री हरजसराय जैन स्मृति व्याख्यान-माला के अन्तर्गत प्रो. विजय कुमार बाब, प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, ओस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद ने "आन्ध्र के जैन स्मारक, बड्डमाणु स्तूप: एक अध्ययन" पर व्याख्यान देते हए उक्त विषय पर प्रकाश डाला और कहा कि 'कुछ अभिलेख व इमारतें ऐसी हैं जिनमें से जैन इतिहास के सन्दर्भो को सुनिश्चित करने में पर्याप्त सहायता मिलती है। उन्हीं स्मारकों में से वड्डमाणु स्तूप एक प्रमुख स्मारक हैं जो तत्कालीन समाज के आर्थिक, सामाजिक स्थिति पर पर्याप्त प्रकाश डालता है। प्रो. बाबू के अनुसार वड्डमाणु स्तूप पर अंकित कला की तुलना उदयगिरि, खण्डगिरि में प्राप्त होने वाली कला से की जा सकती है। इसमें मुख्य रूप से मछली,