Book Title: Sramana 2010 10
Author(s): Ashok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 124
________________ अंक ई.सन् पृष्ठ ३-४ ३-४ १ १ २००६ २०३-२०६ २००६ २०७-२०९ २००७ १-३१ २००७ ३२-३९ लेख लेखक विषय वर्ष Anekāntavāda : A way Towords world Peace Dr. Baleshwar दर्शन-तत्त्व मीमांसा व ज्ञान Prasad Yadava मीमांसा ५७ The Jaina Tāntric Yantras Dr. Lalit Kumar ५७ तीस वर्ष और तीन वर्ष स्व. नन्दलाल जैन विविध ५८ आगमों में अनगार के प्रकार : परिव्राजक, तापस डॉ. विजय कुमार आगम और साहित्य ५८ और आजीवक के विशेष सन्दर्भ में । वैदिक और श्रमण समाज में सामाजिक पारस्परिकता डॉ. सुधा जैन संस्कृति और समाज ५८ जैन-जैनेतर धर्म-दर्शनों में अहिंसा डॉ. श्याम किशोर सिंह धर्म, साधना, नीति एवं आचार ५८ जैन और बौद्ध धर्मों में चतुर्विध संघों का परस्पर डॉ. शारदा सिंह धर्म, साधना, नीति एवं आचार ५८ योगदान जैन ज्ञानमीमांसा : 'प्रमाणनयतत्त्वालोक' के विशेष डॉ. राघवेन्द्र पाण्डेय दर्शन-तत्त्वमीमांसा एवं ज्ञान सन्दर्भ में मीमांसा ५८ भारतीय तर्कशास्त्र को जैन दर्शन का योगदान डॉ. राकेश कुमार सिंह दर्शन-तत्त्वमीमांसा एवं ज्ञान ५८ मीमांसा जैन व शैव धर्मों के बीच समीपता के साहित्यिक डॉ. कृष्ण कान्त मिश्रा इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला ५८ एवं अभिलेखीय प्रमाण जैन साहित्य में वर्णित व्यापारिक साधन डॉ. संजय कुमार जैन आगम और साहित्य ५८ Tattvārthavivaraña: An appraisal Dr.G.L. Suthar आर.1 और साहित्य ५८ The concept of Dharma: A Reappraisal Dr.Bijayananda Kar धर्म, साधना, नीति और आचार ५८ १ १ १ २००७ २००७ २००७ ४०-४५ ४६-५४ ५५-६१ १ १ २००७ ६२-७५ २००७ ७६-८३ श्रमण अतीत के झरोखे में (द्वितीय खण्ड) : १२३ १ २००७ ८४-८६ १ १ १ २००७ ८७-९० २००७ ९१-१०१ २००७ १०२-११३

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