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लेख
तन्त्र दर्शन में ज्ञान का स्वरूप
जैन दर्शन एवं योगवाशिष्ठ में ज्ञान की क्रमागत अवस्थाओं का विवेचन
वैदिक और श्रमण परम्पराओं की दार्शनिक पारस्परिकता
बौद्ध एवं जैन दर्शन में व्यक्ति-विमर्श
जैन दार्शनिक चिन्तन का ऐतिहासिक विकास-क्रम
प्रकाशित उपांग साहित्य
Concept of Omniscience in Jainism
Contribution of Śramana Tradition to
Indian culture
Jahangir's relation with Spiritual Jaina Leaders
Jainism and Meat-Eating
Towards world Peace on the Wheels of
‘Anekāntavāda’and ‘Syādvāda’ बौद्धों का शून्यवाद
लेखक
डॉ. जयशंकर सिंह
डॉ. मनोज कुमार तिवारी दर्शन - तत्त्व मीमांसा और ज्ञान
मीमांसा इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला
डॉ. विजय कुमार
डॉ. राघवेन्द्र पाण्डेय
डॉ. किरन श्रीवास्तव
श्री ओम प्रकाश सिंह
Dr. S.P. Pandey Dr. B.N. Sinha
Dr.Nirmala Gupta
विषय
दर्शन - तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान
मीमांसा
M.V. Shah
Dr. Jaya Singh
डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव
दर्शन - तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान
इतिहास, पुरातत्व एवं कला मीमांसा
वर्ष
मीमांसा दर्शन - तत्त्व मीमांसा और ज्ञान
मीमांसा
५८
५८
५८ २-३ २००७. ७६-८०
५८
५८
आगम और साहित्य
५८
दर्शन - तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान ५८ समाज एवं संस्कृति मीमांसा
५८
समाज एवं संस्कृति
धर्म, साधना, नीति और आचार ५८ दर्शन - तत्त्व मीमांसा और ज्ञान
५८
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अंक ई.सन्
५८
२-३
२-३
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२-३
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२-३
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२-३
२-३
२-३
४
२००७
२००७
पृष्ठ
२००७
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२००७
२००७
२००७ १०१-११४
८१-९४
९५ - १००
११५ - १२६
१२७-१३५
१३७ - १६२
१६३ - १७१
२००७ १७२ - १८७
२००७
२००७ १८८ - २०६
२००७ २०७-२१७
१-६
श्रमण अतीत के झरोखे में (द्वितीय खण्ड) : १२५