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लेख पुद्गल : एक पर्यवेक्षण
अंक
ई.सन्
पृष्ठ
लेखक विषय
वर्ष डॉ. नवीन कुमार दर्शन, तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान श्रीवास्तव मीमांसा
६० जैन सिद्धांताचार्य साध्वी समाज एवं संस्कृति डॉ. विजयश्री 'आर्या'
६० Dr.RaniMajumdar आगम और साहित्य ६०
२-३
२००९
६९-७६
२-३ २-३
२००९ २००९
७७-७९ ८०-८९
अर्हत् शब्द की प्राचीनता व मौलिकता : जैन धर्म के सम्बन्ध में The Vidyās of the Vidyādharas according to the VasudevahimdiCurrent trends in the Practice of Voluntary peaceful Death (Samādhi Marana) in the Jain tradition: An Empirical study
१३४ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर-१०
धर्म, साधना, नीति एवं आचार ६०
२-३
२००९
९१-१०६
Dr. Col. D.S. Baya 'Sreyas'
Tirtha, Tourism and Jainism Non-Violence in Jainism : Issues and Prospectives
इतिहास, पुरातत्व एवं कला धर्म, साधना, नीति एवं आचार
६० ६०
२-३ २-३
Dr. Rajjan Kumar Dr. Ramathtollah Saiedi Dr. Nanjunda D.C. उपाध्याय अमर मुनि
२००९ १०७-११५ २००९ ११६-१२४
ध्वनिवर्धक का प्रश्न हल क्यों नहीं होता? क्या विद्युत अग्नि है? जैन धर्म में धार्मिक सहिष्णुता की स्थापना के मूल आधार
डॉ. राजेन्द्र जैन
६१ धर्म, साधना, नीति एवं आचार ६१
४-१ २००९-१० १-१३ ४-१ २००९-१० १४-३०