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विद्यापीठ के प्रांगण में
पाण्डुलिपियों के संपादन एवं उनकी समीक्षा पर कार्यशाला
९ नवम्बर से ३० नवम्बर २०१० तक पार्श्वनाथ विद्यापीठ में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी तथा राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रो. आर. सी. पण्डा, संकाय प्रमुख, संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने की। इसके मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति, गोरखपुर विश्वविद्यालय, प्रो. बी. एम. शुक्ल थे। कार्यशाला का परिचय डॉ. वी. एस. शुक्ला ने दिया। स्वागत इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (IGNCA) के परामर्शदाता प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन विद्यापीठ के निदेशक प्रो. सुदर्शन लाल जैन ने किया। इसके समापन समारोह में अध्यक्षता विद्यापीठ के निदेशक प्रो. सुदर्शनलाल जैन ने की तथा इसके मुख्य अतिथि थे प्रो. बी.डी. सिंह, रेक्टर, बी.एच.यू.। प्रो. के. डी. त्रिपाठी ने कार्यशाला में उपस्थित विद्वज्जनों का स्वागत किया तथा डॉ. एन. डी. तिवारी ने कार्यशाला का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रणति घोषाल ने किया। कार्यशाला में शारदा व नेवारी लिपियों का पुनर्निरीक्षण, विद्वानों के व्याख्यान तथा पाण्डुलिपियों की प्रयोगात्मकता पर कार्य किया गया। इस कार्यशाला में स्थानीय तथा बाहर से आये हुए व्याख्यानकर्ता थे - प्रो. वी. वी. जद्दीपाल, प्रो. प्रकाश चन्द्र पाण्डेय, एन. झा, प्रो. रत्ना वासु, प्रो. जी. सी. त्रिपाठी, वी.एस. शुक्ला, डॉ. श्रीमती सुभद्रा देसाई, डॉ. जितेन्द्र बी. शाह, प्रो. बसन्त कुमार भट्ट, प्रो. के. डी. त्रिपाठी, प्रो. आर. शुक्ला, प्रो. आर. सी. पण्डा, प्रो. आर.सी. पाण्डेय, प्रो. वाई. के. मिश्रा, प्रो. एस. एल. जैन आदि। इस कार्यक्रम में श्री सी. आर. गरेखान, अध्यक्ष इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (IGNCA) ट्रस्ट तथा प्रो. दीप्ति त्रिपाठी निदेशक (NMM, New Delhi) ने अपनी गरियामयी उपस्थिति से इस कार्यशाला को गौरवान्वित किया। कार्यशाला अत्यन्त उपयोगी रही जिसमें संस्थान के निदेशक प्रो. सुदर्शनलाल जैन ने पूर्ण सहभागिता देते हुए जैन साहित्य का इतिहास, विद्यापीठ में संगृहीत पाण्डुलिपियों का विवरण तथा उनकी महत्ता पर प्रकाश डाला।