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लेख
जिन प्रतिमा का प्राचीन स्वरूप : एक समीक्षात्मक चिन्तन
"अंगविज्जा" में जैन मंत्रों का प्राचीनतम् स्वरूप उमास्वाति एवं उनकी उच्चैनार्गर शाखा का उत्पत्ति
स्थल एवं विचरण क्षेत्र
उमास्वाति का काल
उमास्वाति और उनकी परम्परा जैन आगम साहित्य में श्रावस्ती
प्राकृत और अपभ्रंश साहित्य में कृष्ण
ऋषिभाषित में प्रस्तुत चार्वाक दर्शन
राजप्रश्नीयसूत्र में चार्वाक मत का प्रस्तुतीकरण एवं
लेखक
डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
मूलाचार : एक अध्ययन
डॉ. सागरमल जैन
प्राचीन जैनागमों में चार्वाक दर्शन का प्रस्तुतीकरण एवं डॉ. सागरमल जैन
समीक्षा
कुछ प्रमाण
बौद्ध धर्म में सामाजिक चेतना
धर्म निरपेक्षता और बौद्ध धर्म
डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
समीक्षा
भागवत के रचना काल के सन्दर्भ में जैन साहित्य के डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
डॉ. सागरमल जैन
विषय
इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला
आगम और साहित्य
इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला
आगम और साहित्य
आगम और साहित्य
इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला आगम और साहित्य आगम और साहित्य
आगम एवं साहित्य
वर्ष
५६
५६
३-४
५६ ३-४
५६
५६
५६
५६
५६
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आगम एवं साहित्य आगम एवं साहित्य
आगम एवं साहित्य
समाज एवं संस्कृति
५६
धर्म, साधना नीति एवं आचार ५६
५६
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अंक ई.सन् पृष्ठ
३-४
२००५
६२-६८
५६
३-४
३-४
३-४
२००५ ८२-८६
३-४
२००५
८७-९२
३-४
२००५ ९३-९६
३-४ २००५ ९७-११०
३-४
२००५ १११-१२३
३-४ २००५
१२४-१३१
३-४
२००५
२००५
३-४
३-४
६९-७५
७६-८१
२००५ १३२-१३६
२००५ १३७-१४१
२००५ १४२-१४५
२००५
२००५
१४६ - १५५
१५६ - १६३
११८ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर - १०