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लेख
वर्ष अंक ई.सन् पृष्ठ ५५ १०-१२ २००४ ५२-५६
Status of woman in Jain Community Concept of Sūkşma Sarīra in Indian Philosophy Economic Aspect of Non-Violence
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१०-१२ २००४
५७-५९
५५ १०-१२ २००४
६०-८८
जीवदया : धार्मिक और वैज्ञानिक आयाम
लेखक
विषय Dr. Reeta Agrawal समाज और संस्कृति Dr. Saroj Sharma दर्शन-तत्त्व मीमांसा एवं
ज्ञान मीमांसा Dr. B.N. Sinha
धर्म, साधना, नीति एवं
आचार डॉ. काकतकर वासुदेव राव धर्म, साधन, नीति एवं
आचार डॉ. हरिशंकर पाण्डेय धर्म, साधना, नीति एवं
आचारडॉ. अल्पना जैन दर्शन-तत्त्व मीमांसा और
ज्ञान मीमांसा डॉ. विनोद कुमार तिवारी दर्शन-तत्त्व मीमांसा एवं
ज्ञान मीमांसा डॉ. कमलेश कुमार जैन आगम और साहित्य
११६ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर-१०
५६
१-६
२००५
१-१७
रूपस्थ और रूपातीत ध्यान
५६
१-६
२००५
१८-२४
कर्म-सिद्धान्त एवं वस्तुस्वातन्त्र्य
५६
१-६
२००५
२५-३९
भारतीय दार्शनिक सन्दर्भ में जैन अचेतन द्रव्य
५६ ५६
१-६ १-६
२००५ २००५
४०-४४ ४५-५६
प्राकृत भाषा और राजशेखर कृत 'कर्पूरमञ्जरी' में देशी शब्द आचार्य नेमिचन्द्रसूरि कृत 'रयणचूडरायचरिय' में वर्णित अवान्तर कथाएँ एवं उनका मूल्यांकन । मुहम्मद तुगलक और जैन धर्म
डॉ. हुकुमचन्द जैन
आगम और साहित्य
५६
१-६
२००५
५७-७४
डॉ. निर्मला गुप्ता
धर्म, साधना, नीति एवं आचार
५६
१-६
२००५
७५-८०