Book Title: Sramana 2010 10
Author(s): Ashok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 116
________________ वर्ष अंक ई.सन् पृष्ठ लेख खरतरगच्छ-सागरचन्द्रसूरिशाखा का इतिहास लेखक डॉ. शिवप्रसाद ५५ ७-९ २००४ ८२-९१ Jainism as Perceived by Huen-Tsang Dr. A.P. Singh ७-९ २००४ १०-१२ २००४ ५५ ५५ ९२-९८ १-४ निर्ग्रन्थ संघ और श्रमण परम्परा साध्वी विजयश्री 'आर्या' चंद्रवेध्यक प्रकीर्णक की विषय-वस्तु का मूल्यांकन डॉ. हुकुमचंद जैन अर्द्धमागधी जैन आगम साहित्य में माला निर्माण-कला डॉ. हरिशंकर पाण्डेय आगमिक मान्यताओं में युगानुकूलन डॉ. नन्दलाल जैन प्राचीनतम् एक दुर्लभ जैन पाण्डुलिपि प्राचार्य कुन्दन लाल जैन विषय इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला इतिहास पुरातत्व एवं कला आगम एवं साहित्य आगम एवं साहित्य आगम और साहित्य इतिहास, पुरातत्त्व एवं । कला आगम एवं साहित्य इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला समाज एवं संस्कृति ५५ १०-१२ २००४ ५५ १०-१२ २००४ ५५ १०-१२ २००४ ५-८ ९-१२ १३-२३ ५५ ५५ १०-१२ २००४ १०-१२ २००४ २४-२६ २७-२९ डॉ. वेद प्रकाश गर्ग डॉ. अशोक प्रियदर्शी जैन कथा साहित्य का गौरव-'वसुदेवहिण्डी' बिहार गाँव की मृण्मुहरें ५५ १०-१२ २००४ ३०-३४ श्रमण अतीत के झरोखे में (द्वितीय खण्ड) : ११५ कल्पप्रदीप में उल्लिखित वाराणसी के जैन एवं डॉ. शिवप्रसाद कतिपय अन्य तीर्थस्थल जैन और बौद्ध श्रमण संघ में विधि शास्त्र का विकास : डॉ. चन्द्ररेखा सिंह एक परिचय फतेहपुर सीकरी से प्राप्त श्रुतदेवी (जैन सरस्वती) डॉ. अशोक प्रियदर्शी की प्रतिमा ५५ १०-१२ २००४ ५५ १०-१२ २००४ ३५-३९ ४०-४७ इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला ५५ १०-१२ २००४ ४८-५१ ।।

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