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लेखक डॉ. सागरमल जैन Dr. Sagarmal Jain
विषय समाज एवं संस्कृति समाज और संस्कृति
वर्ष ५६ ५६
अंक ३-४ ३-४
ई.सन् पृष्ठ २००५ १६४-१७४ २००५ १७६-१८५
लेख महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक जीवन दृष्टि Human Solidarity and Jainism : The challenge of our times The impact of Nyāya and Vaišeșika school of Jaina प्राकृत कथा-साहित्य में सांस्कृतिक चेतना कर्पूरमञ्जरी में भारतीय समाज तत्त्वार्थसूत्र का पूरक ग्रन्थ : जैन सिद्धान्त-दीपिका भारतीय व्याकरण शास्त्र की परम्परा
३-४
२००५ १८६-१९२
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Dr. Sagarmal Jain दर्शन, तत्त्व मीमांसा एवं
ज्ञान मीमांसा श्रीरंजन सूरिदेव आगम एवं साहित्य डॉ. हरिशंकर पाण्डेय समाज एवं संस्कृति डॉ. धर्मचन्द्र जैन आगम और साहित्य डॉ. अतुल कुमार प्रसाद आगम और साहित्य सिंह डॉ. श्वेता जैन आगम और साहित्य
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२००६ २००६ २००६ २००६
१-१० ११-१८ १९-३२ ३३-४४
२००६
४५-५३
पद्मपुराण में राम का कथानक और उसका सांस्कृतिक पक्ष धम्म चक्र प्रवर्तन सूत्र : मानवीय दुःख विमुक्ति का निदान पत्र प्रतीत्यसमुत्पाद और निमित्तोपादानवाद
प्रो. अँगने लाल
धर्म,साधना, नीति एवं आचार ५७
१
२००६
५४-५९
श्रमण अतीत के झरोखे में (द्वितीय खण्ड) : ११९
कु. अल्पना जैन
महावीर कालीन मत-मतान्तर : पुनर्निरीक्षण जैन धर्म के जीवन मूल्यों की प्रासंगिकता वैदिक ऋषियों का जैन परम्परा में आत्मसातीकरण
डॉ. विभा उपाध्याय दुलीचन्द जैन डॉ. अरुण प्रताप सिंह
दर्शन, तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान मीमांसा
५७ धर्म, साधना, नीति एवं आचार ५७ धर्म, साधना, नीति एवं आचार ५७
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२००६ २००६ २००६ २००६
६०-६५ ६६-८४ ८५-९६ ९७-१०५