________________
वर्ष
लेख मोक्ष मार्ग में सम्यग्दर्शन की भूमिका
अंक
लेखक डॉ. कमलेश कुमार जैन
ई.सन्
पृष्ठ
५३ ५३
१-६ १-६
२००२ २००२
८०-८६ ८७-९५
'समराइच्चकहा' में व्यवसायों का सामाजिक आधार राघवेन्द्र प्रताप सिंह जैन दर्शन में परमात्मा का स्वरूप एवं स्थान श्रीमती कल्पना (शोध प्रबन्ध सार) जैनागमों में भारतीय शिक्षा के मूल्य
दुलीचन्द जैन
५३
१-६
२००२
९६-९९
१०६ : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर-१०
५३
१-६
२००२ १००-१०६
राजेन्द्र सिंह गुर्जर'
विषय दर्शन-तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान मीमांसा समाज एवं संस्कृति दर्शन-तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान मीमांसा धर्म, साधना, नीति एवं आचार धर्म, साधना, नीति एवं आचार इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला आगम एवं साहित्य । दर्शन-तत्त्व मीमांसा एवं ज्ञान मीमांसा समाज एवं संस्कृति धर्म, साधना, नीति एवं आचार आगम एवं साहित्य
गाँधी चिन्तन में अहिंसा एवं उसकी प्रासंगिकता (जेहादी हिंसा के सन्दर्भ में) खरतरगच्छ-आद्यपक्षीयशाखा का इतिहास
५३
१-६
२००२ १०७-११२
डॉ. शिवप्रसाद
Dr. Ashok Kumar Singh Dr. Rajjan Kumar
५३ ५३ ५३
१-६ १-६ १-६
२००२ ११३-१२१ २००२ १२२-१३१ २००२ १३२-१४५
Jain Campū Literature Misunderstanding vis-a vis understanding with reference to Jainism तीर्थकर अरिष्टनेमि आचार्य हरिभद्र की योगदृष्टियाँ : एक विवेचन
५३
डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय डॉ. सुधा जैन
७-१२ २००२
१-११
आचार्य हरिभद्रसूरि प्रणीत उपदेशपद : एक अध्ययन डॉ. फूलचन्द जैन 'प्रेमी'
५३ ५३
७-१२ ७-१२
२००२ २००२
१२-२१ २२-३६