Book Title: Smruti Sandarbh Part 03
Author(s): Maharshi
Publisher: Nag Publishers

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Page 10
________________ अध्याय प्रधानविषय पृष्ठा १ करे उसको दण्ड का विधान (५७-६१)। कन्या देने का जिनको अधिकार है ऋतुकाल के पहले यदि कन्या को न दे तो माता पिता को भ्रूण हत्या का पाप (६२-६४)। बिना दोष के कन्या के त्यागने में दण्ड और पति को छोड़कर अपनी कामना के लिये दूसरे के पास जाती है उसे पुंश्चली कहते हैं। क्षेत्रज पुत्र किस विधि से उत्पन्न कराया जाता है इसका वर्णन (६५-६६)। . व्यभिचार करनेवाली स्त्री को दण्ड का विधान (७०)। स्त्री को चन्द्रमा गन्धर्वादिको ने पवित्र बताया है (७१)। पति और पत्नी का परस्पर व्यवहार और जिन आचरणों से स्त्री की कीर्ति होती है उनका वर्णन (७२-७८)। मृतुकाल के अनन्तर पुत्रोत्पत्ति का समय और पुरुष को अपने चरित्र की रक्षा एवं स्त्रियों का सम्मान करने का धर्म कहा गया है (७६-८२)। स्त्री को सास स्वसुर का अभिवादन तथा पति के परदेश गमन पर रहन सहन के नियम (८३-८४)। स्त्री की रक्षा कुमारी काल में पिता, विवाह होने पर .. पति और वृद्धावस्था में पुत्र करें स्वतन्त्र न छोड़ दे (८५)। स्त्री को पति प्रिय रहने का माहात्म्य

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