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अध्याय
पृष्टाह
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प्रधान विषय २ देगी और बाकी को नहीं। ऋण दुगुना तक हो
सकता है, पशु की सन्तति तथा धान तिगुना
इत्यादि का वर्णन है। जब चुकाने पर धनी न . . . लेवे तो उस तिथि से वृद्धि नहीं होगी (३८-६५)। २ उपनिधिप्रकरणवर्णनम्
१२७५ निक्षेप (धरोहर) वर्णन (६६-६८)। २ साक्षीप्रकरणविधिवर्णनम्
१२७६ साक्षी का प्रकरण-साक्षी कौन होना चाहिये
और साक्षी के लक्षण-जिसको दोनों पक्ष स्वीकार करे वह एक भी साक्षी हो सकता है। साक्षी जब न्यायालय में जाय उसे न्यायाधीश यह सुनावेये पातककृतालोका महापातकिनान्तथा । अनिदानाश्च ये लोका ये च स्त्रीवालघातिनाम् । तान् सर्वान् समवाप्नोति यः साक्ष्यमनृतं वदेत् ॥ अर्थात् अतीव पापियों को जो नरक में जाना पड़ता है, महापापियों को जो नरक भोगना पड़ता है, आग लगानेवाले को और स्त्री तथा