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[ ४१ ] अध्याय
प्रधानविषय ३ गृहेऽविज्ञातस्यान्त्यजातेनिवेशने-बालादि विषये च प्रायश्चित्तम् ।
- १३६२ अन्य जाति का परिचय न होने से अज्ञात दशा में घर में रह ज.य तो उस द्विजाति को चान्द्रायण या पराक प्राजापत्य व्रत करने का विधान । इसी प्रकार चाण्डाल कूप से जल आपत् दशा के
बिना लेने से प्रायश्चित्त (१-१२)। ४ चाण्डालकूपजलपानादौ संस्पर्शे च प्रायश्चि० १३६३
चाण्डाल के कूप से जल पान पर प्रायश्चित्त (१-१३) ५ वैश्यान्त्यजश्वकाकोच्छिष्टभोजने प्रायश्चित्त
. . १३६५ उच्छिष्ट भोजन (जूठा खाने पर) प्रायश्चित्त (१-१४) ६ नीलीवस्त्रधारणे नीलीभक्षणे च प्रायश्चित्तम् १३६७
नीले रंग के वस्त्र धारण करने का प्रायश्चित्त (१-१०) ७ अन्त्यजादि स्पर्शे रजस्वलाया विवाहादिषु
कन्याया रजोदर्शने प्रायश्चित्तम्। . १३६७ रजस्वला स्त्री की अशुद्धि बताई है किन्तु रोग के
वर्णनम्।