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( ४४ ) अध्याय प्रधानविषय
- पृष्ठाङ्क १ इष्टापूर्त का माहात्म्य । गङ्गा में अस्थि प्रवाह का
माहात्म्य । पितृ कर्म गया श्राद्ध का माहात्म्य । एकोद्दिष्ट श्राद्ध न कर पार्वण श्राद्ध करना व्यर्थ है। प्रति सम्वत्सर क्षयाह पर श्राद्ध करने का निर्णय सपिण्डी करने की विधि। पिता जीवित हो तो माता की सपिण्डी दादी के साथ, पिता न हो तो पिता के साथ माता का सपिण्डीकरण श्राद्ध करे। अपुत्र स्त्री पुरुष का पावण श्राद्ध न करे केवल एकोद्दिष्ट करे। संक्षिप्त प्रायश्चित्त का विधान बर्णन किया है (१-७१)।
शङ्खस्मृति के प्रधान विषय १ ब्राह्मणादिनां कर्म वर्णनम् । १४१५
चातुर्वर्ण्य के पृथक् पृथक् कर्म, यथा ब्राह्मण का यजन-याजन, अध्ययन-अध्यापनादि; इस प्रकार
चार वर्ण के पृथक् पृथक् कर्मों का वर्णन (१-८)। २ ब्राह्मणादिनां संस्कारवर्णनम् । १४१६
गर्भाधान से उपनयन पर्यन्त संस्कारों का विधान (१-१२)।