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[ ४६ ] अध्याय प्रधानविषय
. पृष्ठाङ्क लिखितस्मृति के प्रधान विषय इष्टापूर्तकर्मवृषोत्सर्गगयामिण्डदानषोड़शश्राद्धानांवर्णनम् ।
१४५५ उदककुम्भदानंअग्निस्थानंअपुत्रिणामेकोद्दिष्टश्राद्धवर्णनम् ।
१४५७ श्राद्ध-परश्राद्धभोक्तृ-श्राद्धकर्तृ श्राद्धभोक्तृ नियमाः, नवश्राद्धे भुञ्जानस्य प्रायश्चित्तम् १४६१ कुब्ज वामनादिषु परिवेदनं, गोवधसमं, चाण्डालघटोदकपान वर्णनम्- १४६३ इष्ट के करने से स्वर्ग प्राप्ति और पूर्व से मोक्ष प्राप्ति का वर्णन किया है। वापी, कूप, तड़ाग, देव मन्दिर तथा पतितों का जो उद्धार करें उसे पूर्त तथा अग्निहोत्र वैश्वदेवादि कार्य करें उसे इष्ट कहते हैं। इष्टापूत कर्म का विधान तथा लक्षण बताया है। गङ्गा में अस्थि प्रवाह का माहात्म्य तथा एकोद्दिष्ट श्राद्ध का वर्णन, श्राद्ध में भोजन करनेवालों के