________________
(५८ ) अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क ब्राह्मणी के साथ सहवास करे उस शूद्र को अग्नि में जला देना। इस प्रायश्चित्त के देखने से विचार होता है शिष्ट शान्ति प्रधान धर्म प्रवक्ता होने पर भी प्रतिलोम विवाह पर अपने उग्र विचार को प्रकट करते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि प्रतिलोम सन्तान से संस्कृति का नाश हो जाता है। संस्कृति के नाश से राष्ट्र का नाश अवश्यम्भावी
है (१-३६)। २२ अयाज्ययाजनादि प्रायश्चित्तवर्णनम् । १५२७
यज्ञ करने में जिन असंस्कृत पुरुषों का अधिकार नहीं है और लोभवश जो ब्राह्मण उनसे यज्ञ करावें उस यज्ञ से सृष्टि में उत्पात होने के कारण उन ब्राह्मणों को प्रायश्चित्त करने को लिखा है (१-१०)। ब्रह्मचारिणः स्त्रीगमने प्रायश्चित्तवर्णनम्। १५२८ रेतसः प्रयत्नोत्सर्गादिविषये प्रायश्चित्तवर्णनम्१५२६ भ्रूणहत्यायांप्रायश्चित्तान्तरकथनं, कृच्छ्रविधिवर्णनश्च । ब्रह्मचारी को स्त्री समागम होने से पातित्य का प्रायश्चित्त । भ्रूण हत्या, कुत्ता के काटने पर,