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_ [ ४२ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क कारण जिस बी का रज गिरता हो उसके स्पर्श
करने से अशुद्ध नहीं होता है (१-२१)। ८ सुरादिक्षितकरस्यशुद्धिविधानवर्णनम् १४००
शूद्रान्नभोजने निन्दानिरूपणवर्णनम। १४०१ बर्तनों के शुद्ध करने का वर्णन, जैसे कांशा भस्म से शुद्ध होता है। शूद्रान्न भक्षण शूद्र के साथ भोजन का निषेध। जिसके अन्न को मनुष्य खाता है उस अन्न से जो सन्तान पैदा होती है वह उसी
प्रकृति की होती है (१-२१)। & अपेयपानेऽभक्ष्यमक्षणे च प्रायश्चित्तवर्णनम् १४०२
मक्षिकाकेशक्षितान्नभोजने प्रायश्चित्तवर्णनम् ।
१४०३ शुल्केनकन्यादानेदोषाभिधानं, स शुद्धि वर्णनम् ।
१४०५ अपेय पान अभक्ष्य भक्षण में प्रायश्चित्त। स्वाध्याय तथा भोजन करते समय पैर में पादुका नहीं हो (१-४३)।