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प्रधानविषय
अध्याय
२ हैं -लेख (लिखित), भोग (कब्जा), साक्षी ( गवाह ) इन तीन प्रमाणों के न होने पर दिव्य ( ईश्वर को पुकार कर ) शपथ करते हैं ( २१-२२ ) । बीस वर्ष तक भूमि किसी के पास रह जाय या दस वर्ष तक धन किसी के पास रह जाय और उसका मालिक कुछ न कहे तो व्यवहार का समय चला जाता है, किन्तु यह नियम धरोहर, सीमा, जड़ और बालक के धन पर लागू नहीं होगा ( २३२५ ) । आगम (भुक्ति) भोग (कब्जा) के सम्बन्ध में निर्णय ( २६ - ३० ) । राजा इनके निर्णय के लिये एक सभा बनावे और बल से एवं किसी उपाधि से जो व्यवहार किया गया है उसको वापस कर देवे (३१-३२ ) । निधि ( गड़ा हुआ धन) का निर्णय और उसमें से छठा हिस्सा राजा का एवं जो निधि राजा को नहीं बताये उसको दण्ड (३३-३७) ।
२ ऋणादान प्रकरणम्
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भ्रूण (कर्जा) की वृद्धि का दर और किसको किस का ऋण देना और नहीं देना इसका निर्णयस्त्री केवल पति के साथ जो ऋण किया है उसको