________________
[ १८ प्रधानविषय
अध्याय
२ भाईयों का संस्कार नहीं हुआ उनका पैतृक धन
से संस्कार और निर्वाह-बहनों को अपने हिस्से से चौथाई देकर विवाह करे. ( १२२-१२७) । जाति विभाग से बटवारा, अयोग से जो लड़का पैदा किया गया उसका भार (१२८-१३०)। बारह प्रकार के पुत्रों का वर्णन ( १३१-१३५)। दासी पुत्र का हक और अपुत्र के धन विभाग का नियम (१३६-१३६)। वानप्रस्थ, संन्यासी और आचार्य के धन का विभाग ( १४०)। समशृष्टि (मिले हुए) भाईयों का विभाग और उन लड़कों का वर्णन जिनको पिता की जायदाद में भाग नहीं मिलता है। जिनको भाग न मिला उनके लड़कों को मिल सकता है (१४१-१४३ )। उनके लड़कों और स्त्री को मिल सकता है (१४४-१४५) । सी धन की परिभाषा तथा स्त्री धन को कोई नहीं ले सकता किन्तु आपत्ति काल में और धर्म कार्य में तथा बिमारी में स्त्री का पति स्त्री के धन को ले सकता है (१४६-१५१)। जो पैतृक धन को छिपा दे उनका निर्णय साक्षी लेख और भाई बिरादरी में पूछकर. करना चाहिये (१५२ )।