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[ २२ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क २ बल पूर्वक किसी को पकड़कर गुलाम बना
लिया हो। निजधर्माविरोधेन यस्तु सामयिको भवेत् । सोऽपि यत्नेन संरक्ष्यो धर्मो राजकृतश्च यः॥ अपने धर्म से मिला हुआ जो समय का धर्म और राजा के धम को भी पालन करना चाहिये । जो समुदाय का धन लेवे और जो अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ देवे उसका सब कुछ छीनकर देश से निकाल
देवे ( १८५-१६५)। २ वेतनादानप्रकरणवर्णनम्
१२६० जो पहले वेतन ले लेवे और समय पर उस काम को छोड़ देवे उससे दूना धन लेना चाहिये। जबतक काम करे उसका वेतन चुका देना चाहिये
(१६६-२०१)। २ द्यूतसमाहृयप्रकरणवर्णनम्
१२६१ पोरों को पहचानने के लिये जूआ किसी स्थान पर करवाया जाता है और उसमें जीतनेवाले से राजा के लिये दस रुपया ले लेना चाहिये (२०२-२०६)।