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[ २० ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क २ सांड वगैरहं को छोड़ देना चाहिये। गायों को
चरानेवाला ग्वाला जिसके घर से जितनी गाय ले जाय उसको उतनी ही सायंकाल लौटा देवे । जिस ग्वाले को वेतन दिया जाता है अगर अपनी गलनी से किसी पशु को नष्ट करवा दे तो मूल्य उससे लिया जाय । प्रत्येक गाँव में गोचर भूमि
रक्खी जाय (१६२-१७०)। २ अस्वामिविक्रयप्रकर
१२८७ खरीद और अस्वामी विक्रय- लेनेवाले को चीज का दोष न बतला कर जो बेचा जाय उसे चोरी की सजा होगी। किसी के धन को दूसरा आदमी बेच लेवे तो धनवाले को मिल जाय और खरीददार अपना मूल्य ले जावे। खोया हुआ या गिरा हुआ द्रव्य किसी को मिल जाय तो उस वस्तु को पुलिस में जमा न देने पर पानेवाला दोष का भागी होता है। एक मास तक कोई न
लेवे तो वह धन राजा का हो जाता है (१७१-६७७)। २ दवाप्रदानिकप्रकरणवर्णनम् - १२८८
अपने घर में जिस वस्तु को देने से विरोध न हो