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[ २६ ] अध्याय
प्रधानविषय २ क्षेत्रवेश्मवनग्रामविवीतखलदाहकाः ।
राजपल्यभिगामी च दग्धव्यास्तु कटामिना । खेत, मकान और ग्राम इनको जलानेवाले को और राजा की स्त्री के साथ गमन करनेवाले को आग में जला देना चाहिये (२६६-२८५) । स्त्रीसंग्रहणप्रकरणवर्णनम्
१३०० प्रकीर्णकप्रकरणवर्णनम्
१३०१ किसी स्त्री के केशों को पकड़ने या उसकी करधनी या स्तन मरदन करना या अनुचित हँसी करना ये चिह्न व्यभिचार के समझे जायेंगे। स्त्री के ना कहने पर जबरदस्ती हाथ लगावे तो सौ पल और पुरुष के ना करने पर दुगुना दण्ड । किसी अलंकृत कन्या को हरण करे उसको कड़ा दण्ड यदि लड़की की इच्छा हो तो दण्ड नहीं होता है। पशु के साथ व्यभिचार करनेवाले को सौ पल दण्ड। नौकरानी के साथ व्यभिचार करनेवाले को दण्ड । जो वेश्या पैसा लेकर बाद में रोके तो उसे दूना दण्ड। किसी लड़केसे या किसी साधुनी के साथ, प्राकृतिक मैथुन करनेवाले को