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अध्याय
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[ ३८ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क २४ मृतककर्मत्यागःषोडशश्राद्धविधानवर्णनश्च । १३७५
सूतक में सब प्रकार के स्माते कर्मों का त्याग - किन्तु वैदिक कम हवन आदि सुष्क फलों से करता रहे। सपिण्डीकरण तक सोलह श्राद्ध
करने से शुद्धि होती है ( १-१६)। २५ नवयझेन विनानवान्नभाजनेप्रायश्चित्तवर्णनम् १३७६
नवान भक्षण करने से पहले नवान्न यज्ञ करना चाहिये। विना यज्ञ में दिये अन्न भक्षण का
प्रायश्चित्त (१-१८)। २६ नवयज्ञकालाभिधानवर्णनम् । . १३७८
अन्वाहार्यलक्षणम्, होमद्वयात्ययादौपुनराधान वर्णनम् ।
१३७६ नव यज्ञ का समय-श्रावणी, कृष्णाष्टमी, शरद् एवं
बसन्त में नव यज्ञ (१-१७)। २७ प्रायश्चित्तवर्णनम् ।
१३८० अन्वाहार्य तथा कर्म के आदि में शुद्धि के लिये . प्रायश्चित्त का विधान (१-२१)।