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अध्याय
प्रधानविषय
२ १ –तुला, २ – अभि, ३-जल, ४ - विष, ५-कोश । ये दिव्य बड़े मामलों में किये जाते हैं छोटे व्यवहार में नहीं । १ तुला - तराजू बनाकर तोला जाता है जो तोलने पर ऊपर या नीचे जाता है उसकी विधि पुस्तक में लिखी है। २ अभि लोहे के गोले को गरम कर दोनों हाथों में लेकर चलना होता है जो शुद्ध हो उसके हाथ नहीं जलते हैं । ३ जल - नाभी मात्र गहरे जल में तीर डालकर धुलाना पड़ता है । ४ विष- शुद्ध को खिलाने पर उसे जहर नहीं लगता । ५ कोशकिसी देवता का जल पिलाने से उसको अगर चौदह दिनों तक अनिष्ट नहीं हुआ तो शुद्ध समझा जाता है (६७-११५ ) ।
२ दायविभाग प्रकरणम्
पिता को अपनी इच्छा से विभाजन करने का अधिकार है (११६-११८) । पिता के बाद भाई अपने आप विभाग किस प्रकार से करे और जो धन अविभाज्य है उसका वर्णन (११६-१२१ ) । भाईयों का बटवारा और भाईयों के लड़कों का विभाग उसके पिता के नाम से होगा। जिन
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