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* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से पच्चीस योजन पर्यंत जोहता है, तब काल से पखवाड़िया के भीतर तक जोहता है।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से भरतक्षेत्र पूर्ण जोहता है, तब काल से पक्ष पर्यंत जोहता है।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से पूर्ण जम्बूद्वीप जोहता है, तब काल से मास उपरान्त देखता है ।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से अढ़ीद्वीप देखता है, तब काल से वर्ष पर्यंत देखता है । ___* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से रुचकद्वीप पर्यंत जोहता है, तब काल से २ से ६ वर्ष जोहता है।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से संख्याता द्वीप देखता है, तब काल से संख्याता काल देखता है।
* अवधिज्ञानी जीव जब क्षेत्र से असंख्यात द्वीप देखता है, तब काल से असंख्यात काल जोहता है।
यह ज्ञान प्रात्मप्रत्यक्ष है और तीनों कालों के पौद्गलिक भावों को अवधिज्ञान से प्रात्मा जोह सकती है। अवधिज्ञान सम्यक्त्ववंत को होता है और विभंगज्ञान मिथ्यात्ववंत को होता है। अवधिज्ञान की सामे विभंगज्ञान
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-१८६