Book Title: Siddhachakra Navpad Swarup Darshan
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 488
________________ (५) भादरवा सुद ११ शनिवार दिनांक १७-६-८३ को शा० घीसूलाल तिलोकचन्दजी की माता सुश्री गजीबाई कृत मासखमण की तपश्चर्या निमित्ते श्री पार्श्वनाथ भगवान के १०८ अभिषेक पूजन शा० तिलोकचन्दजी परकाजी की तरफ से विधिपूर्वक 'प्रभावना युक्त पढाये गये। उनके घर पर चतुर्विध संघ सहित 'पूज्यपाद प्राचार्यदेव पधारे। वहां ज्ञानपूजन एवं मंगलप्रवचन के 'पश्चात् संघपूजा हुई। (६) भादरवा सुद १२ रविवार दिनांक १८-६-८३ को परमपूज्य आचार्यदेव के ६७ वें जन्मदिन की भव्य उजवणी श्री आदिनाथ जैन आराधना भवन में व्याख्यान प्रसंगे हुई। उसमें गुढ़ाबालोतान की श्री श्वेताम्बर जैन छात्रावास की संगीत मण्डली का, सिरोही के श्री महावीर जैन बेन्ड का एवं तखतगढ़ की श्री जैन पाठशाला की बहिनों का कार्यक्रम सुन्दर रहा। व्याख्यान के बाद चैत्यपरिपाटी का भी कार्यक्रम हा। दोपहर में संघवी श्री सांकलचन्द दानाजो की ओर से प्रभावना युक्त श्रीभक्तामरपूजन विधिपूर्वक मैंने (धार्मिक शिक्षक विधिकारक शा० बाबूलाल मणिलाल भाभर वाले ने) पढ़ाया। (७) भादरवा सुद १३ (प्रथम) सोमवार दिनांक १९-६-८३ को श्री गजीबाई पोमराज समनाजी की तरफ से नवाणु प्रकारी पूजा प्रभावना सहित पढ़ाई गई। (८) भादरवा सुद १३ (द्वितीय) मंगलवार दिनांक २०-६-८३ को बारह व्रत की पूजा प्रभावना श्री सुकीबाई भबूतमलजी की ओर से पढ़ाई गई। उस दिन चाणस्मा (उत्तर गुजरात) से शा० बाबूभाई गभरूचन्द, शा० रमणलाल त्रीकमलाल, शा० बबलवन्द्र वस्ताचन्द, शा० चन्दुभाई तथा शा० दलपतभाई आदि मेटाडोर द्वारा पूज्यपाद प्राचार्य महाराज श्री की वन्दनार्थ ( 99 )

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