________________
तीर्थ की यात्रा हेतु छ 'री' पालिव पैदल संघ प्रस्थान हुआ, जिसमें श्री जिनेश्वरदेव की मूत्ति, रथ, हाथी, घोड़े, बैन्ड तथा प० पू० आचार्यदेव, पूज्य उपाध्याय श्री विनोद विजयजी गणिवर्य, पूज्य मुनि श्री शालिभद्र विजयजी म०, पूज्य मुनि श्री जिनोत्तम विजयजी म. एवं पूज्य मुनि श्री अरिहन्तविजयजी म० आदि साधु भगवन्त तथा पू. साध्वी श्री भाग्यलता श्रीजी, पू० साध्वी श्री भव्यगुणा श्रीजी, पू० साध्वी श्री दिव्यप्रज्ञा श्रीजी, पू० साध्वी श्री शीलगुणा श्रीजी तथा पू० साध्वी श्री प्रफुल्लप्रज्ञा श्रीजी आदि साध्वी महाराज थे। श्रावक-श्राविकाओं की संख्या लगभग ३५० थी। प्रतिदिन व्याख्यान, पूजा-प्रभावना और रात को भावना एवं छ'री' पालन का कार्यक्रम चालू रहा।
. उमेदपुर, अगवरी, गुढ़ा-बालोतान, दयालपरा, चल्ली, प्राहोर, भैंसवाड़ा, गोदन, लेटा आदि के दर्शन कर जालौर-नंदीश्वरद्वीप पहुँचे। सर्वत्र स्वागत संघपूजा एवं सार्मिक भक्ति का कार्यक्रम रहा।
॥ श्री सुवर्णगिरि तीर्थ पर तीर्थमाला ॥
मागशर सुद ५ शुक्रवार दिनांक ६-१२-८३ को श्रीसुवर्णगिरि तीर्थ पर तीर्थप्रभावक परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में, स्व० शा० हजारीमलजी भूताजी तखतगढ़ वालों के परिवार में संघवी श्री मूलचन्दजी (सजोड़े) तथा संघवी श्री पुखराजजी (सजोड़े) एवं दोनों बन्धुओं के पुत्रों तथा पुत्रवधुओं को विधिपूर्वक तीर्थमाला श्रीसंघ ने उत्साह के साथ पहिनाई। उस समय दोनों संघवीजी ने सजोड़े चतुर्थ ब्रह्मचर्य व्रत उच्चर कर, श्रीसिद्धाचलजी महातीर्थ की ६६ यात्रा कराने की प्रतिज्ञा की। बाद में 'श्री नंदीश्वरद्वीप' में जीम कर
( 108 )