Book Title: Siddhachakra Navpad Swarup Darshan
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 502
________________ (४) श्री ऋषभदेव भगवान का पट्ट शा० रतनचन्द आईदान जी कस्तूरी प्रोसवाल ने स्थापित किया । (५) श्री ऋषभदेव भगवान की चररणपादुका शा० जवानमल जी सोजाजी ने विराजमान की । (६) श्री ऋषभदेव भगवान की मूर्ति शा० चत्रभारणजी भूताजी ने विराजमान की । (७) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति शा० सांकलचन्द चुनीलालजी ने विराजमान की । (८) श्री सीमन्धरस्वामी भगवान की अन्दर की देहरी पर दण्ड शा० सरदारमलजी गुलाबचन्दजी ने स्थापित किया । ध्वजा शा० मूलचन्दजी जुहारमलजी ने चढ़ाई तथा कलश का स्थापन शा० वत्सराजजी जवानमलजी ने किया । ( ९ ) श्री पुंडरीकस्वामी की घुमटी पर कलश शा० सांकलचन्दजी जयरूपचन्दजी ने स्थापित किया । (१०) श्री गौतमस्वामी की उमटी पर कलश शा० फूलचन्दजी पुखराजजी ने स्थापित किया । (११) श्री सीमन्धरस्वामी की देहरी के ऊपर के भाग में घुमटी पर शा० कुन्दनमलजी प्रेमचन्दजी ने कलश स्थापित किया । (१२) श्री ऋषभदेव भगवान की चरणपादुका की देहरी के ऊपर के भाग में शा० हीराचन्दजी लखमाजी ने कलश स्थापित किया । इस प्रतिष्ठा के दिन बृहदशान्तिस्नात्र शा० भेरूमल मूलचन्द जी की तरफ से विधिकारक शा० चम्पालालजी मांडवला वालों ने परिशिष्ट - 8 ( 113 )

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